वो मेरी औकात देखते हैं जो दूसरो के रहमो पे ज़िन्दा हैं।
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ये दुनिया नासमझ कहती थी मुझे क्यों कि उसकी औकात से बाहर था मैं।
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हर बार हम मुकर जाएंगे अपनी ही बात से, हम गर बात औकात कि करोगे तो।
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अपनी औकात को बनाए रखना क्यों कि अकसर लोग बातो बातो में औकात नापने आ जाते हैं।
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सुनकर तेरे चेहरे कि आहट आया था, तूने औकात कि बात कर दी और मैं तुझे तेरी हालत पे छोड़ के चला आया।
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