हलके में मत लेना तुम सावले रंग को,

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दूध से कहीं ज्यादा देखे हैं शौकीन मैंने चाय के !

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किसको बोलूँ हेलो और किसको बोलू हाय,

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हर टेंशन की एक ही दवा है अदरक वाली चाय !

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अमीरी और गरीबी नहीं देखती साहब,

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ये चाय है सबको एक सा सुकून देती है !

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सांवला है रंग थोड़ा कड़क मिजाज है,

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सुनो तुम पसंद हो मुझे,

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तुम्हारा चाय जैसा स्वाद है।

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मिलों कभी चाय पर फिर कोई किस्से बुनेंगे,

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तुम खामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे !

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चाय के नशे का आलम तो कुछ,

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यह है गालिब कोई राई भी दे,

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तो अदरक वाली बोल देते हैं !

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जैसे शाम ढलती जा रही है,

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