चाय क्या है ये तो नहीं बता सकता, पर इसके लिए जज़्बात खुद ब खुद बयाँ हो जाते हैं।

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सुबह गर एक चाय हाथ में हो तो सुबह लाजवाब हो जाती है।

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क्या बात है उसकी हाथ में, वो गर चाय का कुल्हड़ भी छूले तो चाय से इश्क हो जाता है।

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उसने कहा की आज सुबह से मन नहीं हो रहा कुछ करने का, तभी मैने चाय का ज़िक्र कर दिया, पूरी वादी ही मनमोहक हो गई।

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देखो चाय रखी है Table पे, अब अखबार भी लेते आओ, और ये छुट्टी का दिन है, चलो अब उसकी याद लेकर आओ।

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घर से दूर ये गलियां मुझे अंधेरे में डराती हैं, पर इस गली के नुक्कड़ पे चाय और दोस्त मुझे सुकून देजाते हैं।

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ये चाय की एक घूँट के बाद जो तेरी याद आती है, उसके बाद ये चाय भी ठन्डी हो जाती है।

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बस चले तो तेरे किचन में अपना आसियान बना लूं, ताकी हर रोज़ सुबह तेरी चाय में इश्क थोड़ा मिला दूं।

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ये चाय में कैसा नशा है, हर बार पीकर तेरी याद में खो जाता हूं।

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उसने कहा मुझे चाय बनाना नहीं आता, मैंने कहा बनाना तो आता है ना, तो बस पी भर लेना।

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हाथ में चाय का कुल्हड़ और सर्दी की रात का मजा हि कुछ और है।

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ये चाय का चस्का भी गजब का है, एक घूंट में सारे गम मिटा देता है।

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तुम तो ठंड का मजा क्या जानो, हमसे पूछो ठंड में गरम चाय का मजा।

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मैं सो रहा था वो मुझे उठाने आई थी, मैने कहा अकेले आई हो या चाय भी है साथ मै।

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धीमी आंच में पकी हुई चाय का मजा हि कुछ और है।

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