खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
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ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता !
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जहर देता है कोई, कोई दवा देता है,
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जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है !!
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गमो का बाजार खाली पड़ा है,
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क्यूंकि यहाँ हर किसी के पास गम जो पड़ा है !
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वो नाराज हैं हमसे की हम कुछ लिखते नहीं,
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कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं,
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दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद,
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वो जख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं !
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गम को आँसू बनकर बहने न दिया,
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कुछ इस तरह मैंने खुद को ठोकरों में भी,
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खुद को सम्भाल लिया !
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इंसान खुशी में बहक जाता है,
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लेकिन धोका खाकर संभल जाता है।
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