इतना क्यों सिखाए जा रही है ज़िन्दगी हमें, कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ।
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कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छीन लेती हैं।
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हँसता तो मैं रोज़ हूँ, मगर खुश हुए ज़माना हो गया।
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अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरंत समझ में नहीं आते हैं, उन्हें पढना पड़ता हैं।
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थोड़ा सा रफू करके देखिए ना, फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है।
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लोग कहते है की खुश रहो, मगर मजाल है की रहने दे।
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मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए, तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं जो मैं हूं।
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बहुत छाले हैं उसके पैरों में, कमबख्त उसूलों पर चला होगा।
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देर से गूंजते हैं सन्नाटे, जैसे हमको पुकारता है कोई। कल का हर वाक़िया था तुम्हारा, आज की दास्ताँ है हमारी।
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सुनो, जब कभी देख लुं तुमको तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।
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एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद, दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम ज़िन्दगी हैं।
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कोई खामोश ज़ख्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
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घर में अपनों से उतना ही रूठो कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत, दोनों बरक़रार रह सके।
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शायर बनना बहुत आसान है, बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
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अपने साये से चौंक जाते हैं, उम्र गुज़री है इस क़दर तनहा।
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