संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा;मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा;यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा;मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा।
आपसे दूर भला हम कैसे रह पाते;दिल से आपको कैसे भुला पाते;काश कि आप इस दिल के अलावा आईने में भी रहते;देखते जब आइना खुद को देखने को तो वहाँ भी आप ही नज़र आते।
यह ना थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता,अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता,तेरे वादे पर जाएँ हम, तो यह जान झूठ जाना,कि ख़ुशी से मर ना जाते, अगर ऐतबार होता।