ज़िन्दगी में कुछ भी बनिये मगर दिल से “किसान ”जरूर बने रहो क्योकिं किसान सिर्फ अपने परिवारको नही पालता बल्कि वह ‘ईमानदारी’ और “स्वाभिमानिता”को भी ज़िन्दगी भर पालता है!??
सभी का पेट भरने वाला किसान,खुद अपने घर में भुखमरी से परेशान है।
अपना पेट काटकर जो हमे खाना खिलाये वो है किसान ।और ज्यादा क्या बोलू खाना देने वाला दूसरा भगवान है किसान??❤️
अपनी फसलों को आधे भाव में बेचकर भी वो किसान हमेशा खुश रहता हैं…क्योंकि उसे अपनी कमाई से ज्यादा दूसरों का पेट भरने में आनंद आता हैं…
क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान कोखुदा तूने सजा दे दी सीधे-सादे किसान को.
भगवान का सौदा करता हैं,इंसान की क़ीमत क्या जाने?जो “धान” की क़ीमत दे न सक,वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने?
ये मौसम भी कितना बेईमान हैं,बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं.
कोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो में,किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में
किसान के लड़के ने अपने नाम के आगे “डाक्टर” जोड़ लिया,गाँव में हल ने कोने में पड़े-पड़े दम तोड़ दिया.
ग़रीब के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बाजारों में.
क्या दिखा नही वो खून तुम्हें,जहाँ धरती पुत्र का अंत हुआ,सच को ये सच नही मान रहा,लो आँखों से अँधा भक्त हुआ.
खेतों को जब पानी की जरूरत होती है,तो आसमान बरसता है या तो आँखें।
कितने अजब रंग समेटे हैं, ये बेमौसम बारिश खुद में,अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा हैं तो किसान जहर…
मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ.
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं.