नींद न आने से परेशान मैं था, जग वो रही थी वो माँ थी, मेरे रूठने से रो वो रही थी।
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भीड़ में सब थे मुझे हारता देख सब चुप थे, माँ भीड़ से अलग मुझे पुकार रही थी।
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वो कह रही थी मुझे नींद नहीं आती जब से तू गया है, दिन रात गुजारी नहीं जाती।
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के फ़िक्र न करना 'माँ' मैं आऊंगा और फ़िर से तुझे सताऊंगा।
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इस शहर में भीड़ बहुत, है एक तेरे बिना माँ पूरा शहर वीराना लगता है।
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खुद से पहले मुझे खाना खिलाती थी वो माँ थी, मेरे कुछ न कहने पर भी सब समझती थी।
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आसान नहीं मां होना, दर्द में भी नौ महीने एक जिस्म दो जान होना।
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हर पल तेरी याद आती है, माँ तेरे बिना अब मुझे नींद नहीं आती है।
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मैं नींद में था मुझे तेरी याद आई थी, मेरे सपनों में भी माँ तूने मुझे लोरी सुनाई थी।
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ए खुदा तेरे इस तोहफ़े को जन्नत से भी बढ़ कर दर्जा दूं जो तूने माँ बनाई।
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