डर मुझे भी लगा फासला देख कर, पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर, खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई, मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर।
तैरना सीखना है तो पानी में उतरना ही होगा, किनारे बैठ कर कोई गोताखोर नहीं बनता।
जो अपनी जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं, वो समंदर में भी पत्थरों के पुल बना लेते हैं।
आये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर, कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे।
कभी टूटते हैं, तो कभी बिखरते हैं, विपत्तियों में इन्सान, ज्यादा निखरते हैं, ज़िन्दगी की जंग, जीता देता है हौसला, मंजिल से पहले, नहीं ठहरते हैं, तकलीफों से टूटकर, मत बहा
सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओं के शहर, चलना भी जरुरी है मंजिल को पाने के लिए।
Sochne Se Kahan Milte Hain Tamannaon Ke SHAHAR, CHALNA BHI Jaroori Hai Manzil KO Paane Ke Liye.
मंज़िल पाना तो बहुत दूर की बात हैं। गुरूर में रहोगे तो रास्ते भी न देख पाओगे
manzil paana to bahut door KEE BAAT hain. guroor mein rahoge to raaste bhee NA DEKH paoge
Aaye Ho Nibhaane Ko JAB Kirdaar Zamin Par, KUCHH Aisa Kar CHALO Ke Zamana MISAAL De.
लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है, वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं।
Lakeerein Apne Haathon KI Banana Humko Aata Hai, Wo Koi AUR Honge APNI Kismat PE Jo Rote Hain.
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है