मुझे विश्वास है कि मेरी आत्मामातृभूमि तथा उसकी दीन संतति के लिएनए उत्साह और ओज के साथ काम करने के लिएशीघ्र ही फिर लौट आयेगी.

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संसार में जितने भी बड़े आदमी हुए हैं,उनमें से अधिकतर ब्रह्मचर्यं के प्रताप से ही बने हैंऔर सैकड़ों-हजारों वर्षों बाद भी उनका यशोगान करके मनुष्यपने आपको कृतार्थ करते हैं.ब्रह्मचर्यं की महिमा यदि जाननी हो तोपरशुराम, राम, लक्ष्मण, कृष्ण, भीष्म, बंदा वैरागी, राम कृष्ण, महर्षि दयानंद, विवेकानंद तथा राममूर्ति की जीवनियों का अवश्य अध्ययन करें.

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मैं जानता हूँ कि मैं मरूँगा,किन्तु मैं मरने से नहीं घबराता. किन्तु जनाब,क्या इससे सरकार का उद्देश्य पूर्ण होगा?क्या इसी तरह हमेशा भारत माँ के वक्षस्थल पर विदेशियों का तांडव नृत्य होता रहेगा?कदापि नहीं. इतिहास इसका प्रमाण है.मैं मरूँगा किन्तु फिर दुबारा जन्म लूँगाऔर मातृभूमि का उद्धार करूँगा.

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पंथ, सम्प्रदाय, मजहब अनेक हो सकते हैं,किन्तु धर्म तो एक ही होता है.यदि पंथ- सम्प्रदाय उस एक ईश्वर की उपासना के लिएप्रेरणा देते हैं तो ठीकअन्यथा शक्ति का बाना पहनकर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देनान धर्म है और न ही ईश्वर भक्ति.

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मेरा यह दृढ निश्चय है किमैं उत्तम शरीर धारण कर नवीन शक्तियों सहितअति शीघ्र हीपुनः भारत में ही किसी निकटवर्ती संबंधी या इष्ट मित्र केगृह में जन्म ग्रहण करूँगाक्योंकि मेरा जन्म-जन्मान्तरों में भी यही उद्देश्य रहेगा किमनुष्य मात्र को सभी प्राकृतिक साधनों परसमानाधिकार प्राप्त हो. कोई किसी पर हुकूमत न करे

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मुझे विश्वास है कि मेरी आत्मामातृभूमि तथा उसकी दीन संतति के लिएनए उत्साह और ओज के साथ काम करने के लिए फिर लौट आयेगी.

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यदि देशहित मरना पड़ेमुझे सहस्रों बार भी,तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊंकभी. हे ईश भारतवर्ष में शत बार मेरा जन्म हो,कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो.

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ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो.प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो.

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"अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो."

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तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो,तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो.

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वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो.

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बेचारे ग़रीबों से नफ़रत है जिन्हें, एक दिन,मैं उनकी अमरी को मिट्टी में मिला दूंगा.

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यह फ़ज़ले-इलाही से आया है ज़माना वह,दुनिया की दग़ाबाज़ी दुनिया से उठा दूंगा.

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जो लोग ग़रीबों पर करते हैं सितम नाहक़,गर दम है मेरा क़ायम, गिन-गिन के सज़ा दूंगा.

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