मुझे खुद से इश्क है, कभी खुद से कोई गिला नहीं रखूंगा।

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ये मेरा पहला इश्क है वो भी खुद से।

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मैं जल्दी ही समझ गया कि कुछ पाने की आस नहीं है, जब अकेला ही जाना है इस दुनिया से।

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अब ज्यादा तुझमे नहीं रहता, मैं खुद को हि खुद में शामिल रखता हूँ अब।

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हर दिन एक जैसा होता है अब, क्यों कि प्रेम अब किसी और से नहीं खुद से हुआ है।

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खुद की पहचान, खुद को पहचान लेने के बाद ही बनती है।

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ज़िंदगी के दौर में, थोड़ा वक्त खुद के लिए और खुद से मिलने के लिए निकालें।

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खुद को महत्व दीजिए तभी ये दुनिया आपको महत्व देगी।

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आप अपने आप की जरुरत सबसे पहले है फिर किसी और का।

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पहले अपने आप को जानिये, दुनिया का पता खुद व खुद चल जायेगा।

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अपनी ज़िंदगी के महाभारत का मैं खुद ही कृष्ण और अर्जुन हूँ।

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मेरा पसंदीदा एक शख्स है, जिससे मैं हर दिन आईने के सामने मिलता हूँ।

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