ये दरिया-ए-इश्क है, कदम जरा सोच के रखना,

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इस में उतर कर किसी को किनारा नहीं मिला !

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कितने मासूम होते है ये आँखों के आँसू भी,

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ये निकलते भी उन के लिए है,

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जिन्हे इनकी परवाह तक नहीं होती !

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सजा कोई भी दो मगर नजर के सामने रहो,

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क्योंकि तुम्हारे बिना जीने की आदत नहीं मुझे !

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पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,

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दूर दूर तक हो गया उसका ही आकाश !

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नजर चाहती है दीदार करना,

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दिल चाहता है प्यार करना,

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क्या बताऊँ इस दिल का आलम,

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नसीब में लिखा है इंतजार करना !

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समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई,

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कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता !

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