तेरे हुस्न पर लिखूं में क्या तारीफ मेरी जान, वो लफ्ज़ ही नहीं, जो तेरा हुस्न को बयां कर सकें.
इन आँखो को जब-जब उनका दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है..
ये तेरा हुस्न औ कमबख्त अदायें तेरी, कौन ना मर जाय,अब देख कर तुम्हें.
Khubsurat HO Itni, Ki Chehare Se Nazar Nahi Hatti, TUJHE Din Me Jo Naa Dekhun To MERI Raat Nahi Guzarti,
उनके हुस्न का आलम न पूछिये, बस तस्वीर हो गया हूँ, उनकी तस्वीर देखकर।
यूँ तो आदत नहीं मुझे मुड़ के देखने की, तुम्हे देखा तो लगा एक बार और देख लूँ
मै तेरी ख़ूबसूरती पर नहीं तेरी सादगी पे मरता हूँ, तुम मुझको चाहो या न चाहो मैं सिर्फ तुम्ह ही चाहूँगा
देख कर तेरी आँखों को मदहोश मै हो जाता हूँ. तेरी तारीफ किये बिना मै रह नहीं पता हूँ.
तेरा हुस्न जब से मेरी आँखों में समाया है, मेरी पलकों पे एक सुरूर सा छाया है,
तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा, चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।